कर्मचारी सेवा नियमावली

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान नियमावली के नियम 7(5) के अधीन शक्ति का प्रयोग करके, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की कार्यकारिणी समिति द्वारा संस्थान की सामान्य परिषद् तथा उत्तर प्रदेश शासन के अनुमोदन से संस्थान की सेवा में पदों की भर्ती और उन पर नियुक्त व्यक्तियों की सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए निम्नलिखित नियमावली बनाई जाती है :-

संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ

  • यह नियमावली उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान कर्मचारी सेवा नियमावली 2006 कहलायेगी।
  • यह नियमावली तुरन्त प्रवृत्त होगी।
  • यह नियमावली संस्थान के उन सभी पूर्णकालिक कर्मचारियों पर लागू होगी, जो इस नियमावली के बनने से पूर्व संस्थान की सेवा में नियुक्त हों अथवा उसके बाद नियुक्त किये जायं, परन्तु संस्थान में प्रतिनियुक्ति पर आये कर्मचारियों पर उनके प्रतिनियुक्ति संबंधी नियम लागू होंगे। परन्तु यह सेवा नियमावली प्रतिनियुक्ति के उन कर्मचारियों पर भी लागू होगी, जो स्वेच्छा से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की सेवा में संविलीन होने की सहमति प्रकट करें और जिन्हें अन्तिम रूप से संस्कृत संस्थान की सेवा में संविलीन कर लिया जायें।

परिभाषायें

जब तक कि विषय या संदर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस नियमावली में -

  • संस्थान का तात्पर्य उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ से है।
  • शासन या राज्य सरकार का तात्पर्य उत्तर प्रदेश सरकार से है।
  • सेवा का तात्पर्य उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की सेवा से है।
  • सामान्य परिषद्‌ का तात्पर्य उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की सामान्य परिषद्‌ से है।
  • कार्यकारिणी समिति का तात्पर्य उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की कार्यकारिणी समिति से है।
  • अध्यक्ष का तात्पर्य उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की सामान्य परिषद्‌ तथा कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष से है।
  • निदेशक का तात्पर्य उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक से है।
  • संवर्ग का तात्पर्य संस्थान द्वारा अनुरक्षित किसी सेवा के पदों की संख्या या एक पृथक्‌ इकाई के रूप में स्वीकृत सेवा सम्भाग से है।
  • निरन्तर सेवा का तात्पर्य अविच्छिन्न सेवा से है, किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसी सेवा भी सम्मिलित होगी, जो किसी प्राधिकृत छुट्‌टी के कारण या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन गणना की जाने योग्य अनुपस्थिति के कारण विछिन्न हो गई थी।
  • कर्मचारी का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जो संस्थान की पूर्णकालिक सेवा में हो। इसके अन्तर्गत संस्थान में दैनिक वेतन पर, अनुबन्ध पर या अंशकालिक सेवा में सेवायोजित व्यक्ति सम्मिलित नहीं है।
  • वेतन का तात्पर्य समस्त भत्तों को छोड़कर मासिक मूल वेतन से है।
  • सेवा समाप्ति का तात्पर्य अनुशासनिक कार्यवाही में दण्ड स्वरूप की गई या किसी अन्य कारण से संस्थान द्वारा अपने कर्मचारी की सेवाओं की समाप्ति से है, किन्तु इसके अन्तर्गत सेवा निवृत्ति या पद त्याग के कारण सेवा की समाप्ति नहीं है।

प्रावधान

  • नियमावली में परिवर्धन या परिवर्तन द्वारा कोई संशोधन की कार्यकारिणी समिति द्वारा प्रस्ताव पारित करके, सामान्य परिषद्‌ तथा शासन के अनुमोदन से किया जा सकता है।
  • नियमावली के नियमों की व्याख्या एवं क्रियान्वयन का अधिकार संस्थान के निदेशक को होगा। इस संबंध में कोई विवाद उत्पन्न होने पर उस विषय में शासन का निर्णय अन्तिम माना जायेगा।

संस्थान की सेवा में विभिन्न संवर्गों में पदों की संख्या उतनी होगी, जितना कार्यकारिणी समिति सामान्य परिषद्‌ तथा उत्तर प्रदेश शासन के अनुमोदन से समय-समय पर अवधारित की जाये।

जब तक उपनियम (1) के अधीन उसमें परिवर्तन करने के आदेश न दिये जायें, सेवा के विभिन्न संवर्गों में पदों की संख्या उतनी होगी, जितना इस नियमावली के परिशिष्ट (1) में उल्लिखित है।

भर्ती का स्रोत

सेवा में विभिन्न पदों पर भर्ती परिशिष्ट-एक में प्रत्येक पद के सामने उल्लिखित स्रोत एवं मानदण्ड से की जायेगी।

आरक्षण

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ी जातियों और अन्य अभ्यर्थियों के लिये आरक्षण भर्ती के समय प्रवृत्त शासन के आदेशों के अनुसार किया जायेगा।

राष्ट्रीयता

संस्थान के अन्तर्गत भर्ती के लिये यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी :-

  • भारत का नागरिक हो, या
  • तिब्बती द्रारणार्थी हो, जो भारत में स्थायी निवास के अभिप्राय से 1 जनवरी 1962 के पूर्व भारत आया हो या
  • भारतीय उद्‌भव का ऐसा व्यक्ति हो, जिसने भारत में स्थायी निवास के अभिप्राय से पाकिस्तान, बर्मा, श्रीलंका से या केन्या, उगाण्डा या युनाइटेड रिपब्लिक आफ तंजानिया (पूर्ववर्ती तांगानिका और जंजीबार ) के किसी पूर्व अफ्रीकी देश में प्रवजन किया हो।

प्रतिबन्ध यह है कि जा उपर्युक्त (2) या (3) के अधीन होंगें, उनको राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया पात्रता (इलीजिबिल्टी) का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्क होगा। प्रतिबन्ध यह भी है कि श्रेणी (2) के अभ्यर्थी के लिए महानिरीक्षक, गुप्तचर शाखा से भी पात्रता (इलीजिबिल्टी) का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्क होगा।

प्रतिबन्ध यह भी है कि अभ्यर्थी श्रेणी (3) का हो, तो उसके संबंध में पात्रता का प्रमाणपत्र एक वर्ष से अधिक समय के लिये जारी नहीं किया जायेगा और ऐसा अभ्यर्थी सेवा में एक वर्ष से आगे तभी रह सकता है, जब वह इस बीच भारत की नागरिकता प्राप्त कर ले।

टिप्पणी

जिस अभ्यर्थी के संबंध में पात्रता का प्रमाणपत्र आवश्क हो, यदि उसके पक्ष में प्रमाणपत्र न हो तो निर्गत किया गया हो और न अस्वीकार किया गया हो, तो ऐसे अभ्यर्थी को साक्षात्कार या परीक्षा में सम्मिलित किया जा सकता है और उसकी नियुक्ति भी अनन्तिम रूप से की जा सकती है।

शैक्षिक अर्हतायें

सेवा में विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए अनिवार्य शैक्षिक योग्यतायें तथा वरीयता संबंधी अन्य अर्हतायें कार्यकारिणी समिति द्वारा सामान्य परिषद्‌ तथा शासन के अनुमोदन से निर्धारित की जायेंगीं। इस सम्बन्ध में विभिन्न पदों के लिए निर्धारित अर्हतायें परिशिष्ट दो में उल्लिखित हैं।

आय

संस्थान के अधीन सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए किसी अभ्यर्थी की आयु वही होगी, जो कि शासन द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाये। इसका विवरण परिशिष्ट दो में उल्लिखित है। सीधी भर्ती के लिये अभ्यर्थी की आयु जिस वर्ष भर्ती की जानी हो उस वर्ष की पहली जनवरी को, यदि पद पहली जुलाई से इकतीस दिसम्बर की अवधि में विज्ञापित किया जाय, इस नियमावली के परिशिष्ट दो में विहित आयुसीमा के भीतर होनी चाहियें, परन्तु अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा ऐसी अन्य श्रेणियों के, जो शासन द्वारा समय-समय पर अधिसूचित की जायें, अभ्यर्थियों की आयु सीमा उतने वर्ष अधिक होगी, जितनी शासन द्वारा अपनी सेवाओं के लिए विनिर्दिष्ट की जाय।

चरित्र

सीधी भर्ती के संबंध में उम्मीदवार का चरित्र ऐसा होना चाहिए, जो संस्थान की सेवा के लिए उपयुक्त हो। इस उद्‌देश्य से नियुक्ति पत्र दिये जाने के उपरान्त एवं कार्यभार ग्रहण रिपोर्ट देने के पूर्व निम्नांकित प्रमाणपत्र अभ्यर्थी को प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।

  • विश्वविद्यालय के कुलपति या कालेज/स्कूल के प्रधानाचार्य या उस विभागाध्यक्ष से जिसके अधीन उसने शिक्षा प्राप्त की हो अथवा कार्य किया हो, द्वारा प्रदत्त चरित्र प्रमाणपत्र।
  • दो राजपत्रित अधिकारियों या जिम्मेदार व्यक्तियों से अच्छे चरित्र का प्रमाणपत्र । नियुक्ति प्राधिकारी, जहां आवश्क समझें अभ्यर्थी के चरित्र के संबंध में अन्य तरीकों से जांच पड़ताल भी करा सकता है।

टिप्पणी-

ऐसा कोई उम्मीदवार या अभ्यर्थी सेवा में नहीं रखा जायेगा, जो न्यायालय द्वारा कोई ऐसा अपराध करने के निमित्त दण्डित किया गया हो, जिससे वह किसी सरकारी सेवा अथवा संस्थान की सेवा हेतु अनुपयुक्त समझा जाय। यदि कोई कर्मचारी सरकारी कम्पनी या निगम या किसी अन्य संस्था की सेवा में किसी अपराध, अनुशासनहीनता, अथवा अकर्मण्यता के कारण पदच्युत (डिशमिश) किया गया हो, तो ऐसे अभ्यर्थी को संस्थान की सेवा में नहीं रखा जायेगा। नैतिक अधमता के किसी अपराध के लिये सिद्धदोष व्यक्ति भी संस्थान की सेवा में नहीं रखा जायेगा।

वैवाहिक प्रास्थिति

अभ्यर्थी को इस आशय का एक घोषणा पत्र देना होगा कि-यदि वह विवाहित है, तो उसकी एक से अधिक जीवित पत्नी/पति नहीं है। उस पुरूष अभ्यर्थी को जिसके एक से अधिक पत्नियां हो, और उस स्त्री अभ्यर्थी को, जिसने ऐसे व्यक्ति से विवाह किया हो, जिसकी पहले से ही कोई जीवित पत्नी विद्यमान हो, संस्थान की सेवा में नहीं रखा जायेगा।

शारीरिक स्वस्थता

नियुक्ति के लिए चयन किये गये प्रत्येक व्यक्ति से यह अपेक्षा की जायेगी कि वह मुख्य चिकित्साधिकारी/राजकीय चिकित्सालय के चिकित्साधीक्षक या ऐसे चिकित्साधिकारी जो नियुक्ति प्राधिकारी को मान्य हो, स्वस्थता का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें अन्यथा वह नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होगा।

प्रतिबन्ध यह है कि ऐसा प्रमाणपत्र किसी ऐसे कर्मचारी को देना सामान्यतया आवश्यक नहीं होगा, जो प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किया जाय या जिसकी पदोन्नति द्वारा नियुक्ति की जाय और जो अपनी पूर्व नियुक्ति पर स्वस्थता का प्रमाणपत्र दे चुका हो।

नियुक्ति प्राधिकारी

संस्थान के विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिये नियुक्ति प्राधिकारी निदेशक उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान होंगें, जिसका उल्लेख् परिशिष्ट (1) में किया गया है। नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा नियुक्तियां निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जायेंगी तथा तत्समय विद्यामान आरक्षण नियमों का पालन सुनिश्चित किया जायेगा।

भर्ती की प्रक्रिया

विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए चयन हेतु चयन समिति का गठन शासन के विद्यमान नियमों के अनुरूप किया जायेगा।

सीधी भर्ती की प्रक्रिया

  • सीधी भर्ती के द्वारा जिस पद को भरा जाना है, उसके संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा प्रमुख समाचार पत्रों में उसे विज्ञापित किया जाएं। विज्ञापन के फलस्वरूप प्राप्त आवेदन पत्रों के अनुसार अभ्यर्थियों की सूची आदि की समीक्षा की जायेगी और उसके उपरान्त यथास्थिति लिखित परीक्षा का आयोजन कर अर्ह अभ्यर्थियों के साक्षात्कार द्वारा चयन प्रक्रिया सम्पन्न की जायेगी।
  • आशुलिपिक के पद पर चयन के लिये साक्षात्कार के पूर्व टंकण तथा आशुलेखन की परीक्षा ली जायेगी।
  • टंकक/कनिष्ठ लिपिक के पद पर चयन के लिए साक्षात्कार के पूर्व टंकण की परीक्षा ली जायेगी।

पदोन्नति द्वारा भर्ती की प्रक्रिया

  • पदोन्नति द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिये चयन, अयोग्य को अस्वीकार करते हुये, ज्येष्ठता के आधार पर किया जायेगा। प्राविधिक पदों पर पदोन्नति के लिये निर्धारित न्यूनतम प्राविधिक योग्यता अनिवार्य होगी।
  • टंकक/कनिष्ठ लिपिक के 15 प्रतिशत पद यथासंभव उन अर्ह और संतोषजनक सेवावृत्त वाले समूह ''घ'' के कर्मचारियों द्वारा पदोन्नति से भरे जायेगें, जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करते हों-
    • जिन्होंने संस्कृत विषय के साथ इंटर की परीक्षा पास की हो।
    • जिन्होंने समूह घ के कर्मचारी के रूप में कम से कम तीन वर्ष की सेवा पूरी कर ली है।
    • टंकण में जिनकी गति कम से कम 25 शब्द प्रति मिनट हो।

सेवा का आरम्भ

संस्थान के कर्मचारियों की सेवायें कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से आरम्भ होगी। यदि कोई कर्मचारी अपराह्‌ण में सेवा आरम्भ करता है, तो उसकी सेवायें अगले दिन के पूर्वाह्‌ण से आरंभ मानी जायेगी।

परिवीक्षा

  • स्थायी पदों के विरूद्ध नियमित रूप से नियुक्त किये जाने अथवा पदोन्न्त किये जाने पर संबंधित कर्मचारी को एक वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखा जायेगा। नियुक्ति प्राधिकारी उसी पद पर अथवा संवर्ग में सम्मिलित किसी समकक्ष या उच्चतर पद पर स्थानापन्न या अस्थायी रूप से की गई निरन्तर सेवा की परिवीक्षा अवधि की संगणना के प्रयोजनार्थ उपयोग कर सकता है।
    प्रतिबन्ध यह है कि नियुक्ति प्राधिकारी, उन पर्याप्त कारणों से, जो अभिलिखित किये जायेंगें, व्यक्ति विशेष के मामले में परिवीक्षा अवधि को, जितना वह उचित समझे, ऐसी अवधि के लिये, जो कुल दो वर्ष से अधिक न हो तथा एक बार एक वर्ष से अधिक न हो, बढ़ा सकता है।
  • यदि परिवीक्षा अवधि तथा बढ़ाई गई परिवीक्षा अवधि के अंत में या उसके पूर्व किसी समय यह प्रतीत हो कि उस व्यक्ति ने कार्य सीखने के लिये दिये गये अवसर का पर्याप्त उपयोग नहीं किया है या वह अन्य प्रकार से संतोष देने में असमर्थ रहा है तो उसे सेवा से हटा दिया जायेगा और यदि उस पर उसकी पदोन्नति द्वारा नियुक्ति की गयी हो तो उसे उस पद पर प्रत्यावर्तित कर दिया जायेगा, जिससे उसकी पदोन्नति की गयी थी। परिवीक्षा अवधि या बढ़ाई गई परिवीक्षा अवधि के मध्य या उसके अंत में सेवा से हटाये गये किसी व्यक्ति को तब तक कोई प्रतिकर नहीं दिया जायेगा, जब तक कि उसके मामले में प्रयोज्य किसी विधि के अनिवार्य उपबंधों के अधीन वह उसका हकदार न हो।
  • सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त परिवीक्षाधीन कर्मचारी की सेवा समाप्ति के समय नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा कम से कम 30 दिन की नोटिस या 30 दिन के वेतन के बराबर धनराशि दी जायेगी। वेतन के साथ महंगाई भत्ता भी देय होगा। इसी प्रकार यदि कोई परिवीक्षाधीन कर्मचारी सेवा त्याग करना चाहें, तो वह लिखित रूप से 30 दिन की नोटिस देगा या 30 दिन के वेतन एवं मंहगाई भत्ते के बराबर धनराशि वापिस करेगा। संस्थान की कार्यकारिणी समिति द्वारा ऐसे कर्मचारी को नोटिस अथवा एक मास के वेतन की वापसी के प्राविधान से मुक्त भी किया जा सकता है। परिवीक्षा अवधि या बढ़ाई गई परिवीक्षा अवधि में किसी पदोन्नत किये गये कर्मचारी को उसके मूल पद पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय बिना कारण बताये प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।

स्थायीकरण

कोई परिवीक्षाधीन व्यक्ति, यथास्थिति, परिवीक्षा अवधि या बढ़ाई गई परिवीक्षा अवधि के अंत में अपने पद पर स्थायी कर दिया जायेगा।

ज्येष्ठता

सेवा में किसी श्रेणी के पद पर ज्येष्ठता मौलिक रूप से नियुक्ति के दिनांक से अवधारित की जायेगी, और यदि दो या अधिक व्यक्ति एक साथ नियुक्त किये जायें तो उस क्रम में अवधारित की जायेगी, जिसमें उनके नाम नियुक्ति आदेश में रखे गये हों।

  • सेवा में सीधे नियुक्त किये गये व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता वही होगी, जो चयन समिति द्वारा चयन के समय अवधारित की जाय।
  • सेवा में एक साथ पदोन्नति द्वारा नियुक्त किये गये व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता वही होगी, जो पदोन्नति के समय उनके द्वारा रिक्त किये गये मौलिक पद पर रही है।

टिप्पणी -

सीधी भर्ती से नियुक्त किया गया कोई अभ्यर्थी अपनी ज्येष्ठता खो सकता है, यदि रिक्त पद पर नियुक्त किये जाने पर वह निर्धारित समय के भीतर विधिमान्य कारणों के बिना कार्यभार ग्रहण करने में विफल रहे। कारणों का विधि मान्यता के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी का निर्णय अन्तिम होगा।

सेवानिवृत्ति

संस्थान के समूह 'घ' के कर्मचारियों को छोड़कर शेष कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष होगी। किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति का दिनांक मास की पहली तिथि के बाद हो तो उसकी सेवा निवृत्ति की प्रभावी तिथि उस मास के अन्तिम दिन होगी।

प्रत्यावर्तन

  • अस्थायी अथवा स्थानापन्न रूप से पदोन्नति होने पर उच्चतर पद धारण करने वाले किसी कर्मचारी को, जब तक वह उस पद पर स्थायी न कर दिया जाए, नोटिस के बिना प्रत्यावर्तित किया जा सकेगा, यदि
    • उसका कार्य संतोषजनक न समझा जाय या,
    • उच्चतर पद की रिक्त, जिस पर वह स्थानापन्न रूप से कार्य कर रहा था, किसी कारणवश समाप्त हो गई हो।
  • प्रत्यावर्तन के आदेश, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा दिये जायेगें।
  • संस्कृत संस्थान द्वारा वाह्‌य सेवा पर प्रतिनियुक्ति अधिकारियों/कर्मचारियों को किसी भी समय उनके मूल विभाग को प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।

छटनी

  • यदि कभी संस्थान का कार्य कम हो जाय या मितव्ययता के हित में किसी पद या पदों को कम किया जाना आवश्क हो जाय, तो यथासमय कार्यकारिणी समिति के अनुमोदन से छटनी की कार्यवाही की जा सकेगी।
  • छटनी करने में किसी पदक्रम में कनिष्ठतम कर्मचारी से छटनी करने की नीति अपनायी जायेगी।

त्यागपत्र

  • संस्थान का कोई अस्थायी कर्मचारी 30 दिन की नोटिस देकर या नोटिस के बदले 30 दिन के महंगाई भत्ता सहित वेतन के बराबर धनराशि देकर संस्थान की सेवा से त्यागपत्र दे सकता है। स्थायी कर्मचारी की सेवा से त्यागपत्र देने हेतु तीन मास की नोटिस या उसके स्थान में महंगाई भत्ता साहित तीन मास के वेतन के बराबर धनराशि संस्थान को देनी होगी।
  • त्यागपत्र स्वीकृत होने के दिनांक से प्रभावी होगा, किन्तु कर्मचारी संस्थान के अभिलेख, पुस्तकों तथा सम्पत्ति का, जो उसकी अभिरक्षा में हो, प्रभार सौंपने के लिये त्यागपत्र की स्वीकृति के आदेश में विर्निदष्ट अवधि का वेतन पाने का हकदार होगा।
  • यदि यह पाया जाय कि संस्थान का कोई अभिलेख, पुस्तक या सम्पत्ति किसी कर्मचारी द्वारा रोक ली गई है, तो उसका त्यागपत्र स्वीकार किये जाने पर भी वह उसके लिये उत्तरदायी बना रहेगा।

सेवा समप्ति

किसी कर्मचारी की सेवायें समाप्त करने की प्रक्रिया निम्नलिखित होगी :-

  • किसी अस्थायी कर्मचारी की सेवायें 30 दिन की लिखित नोटिस देकर समाप्त की जा सकती है, किन्तु नियुक्ति प्राधिकारी को नोटिस के बदले में महंगाई भत्ता सहित 30 दिन का वेतन भुगतान करके सेवा समाप्त करने का भी अधिकार होगा। प्रतिबन्ध यह है कि किसी विशिष्ट अवधि के लिये की गई नियुक्ति की दशा में भी कोई नोटिस देने या उसके बदले में किसी वेतन के भुगतान करने की आवश्कता न होगी।
  • किसी स्थायी कर्मचारी की सेवायें तीन मास की लिखित नोटिस देकर समाप्त की जा सकती है, किन्तु नियुक्ति प्राधिकारी नोटिस अवधि का वेतन देकर तत्काल भी सेवा समाप्त कर सकता है।

संस्थान अपने कर्मचारियों के संबंध में सेवाओं के निम्नलिखित अभिलेख रखेगा।

  • कर्मचारी के वैयक्तिक पत्रावली, जिसमें उसकी नियुक्ति के आदेश की प्रति, सेवा नियम के अधीन अपेक्षित प्रमाणपत्र, चेतावनियां, अवकाश के आदेशों, दक्षतारोक पार करने या न करने के आदेशों, दण्डादेशों, यदि कोई हो, आदि की प्रतियां तथा सेवा संबंधी अन्य पत्रजात रखे जायेंगे।
  • सेवापुस्तिका, जो शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के लिये निर्धारित प्रपत्र पर रखी जायेगी।
  • चरित्र पंजी, जिसमें 1 अप्रैल से प्रारम्भ होने वाले प्रत्येक वर्ष के लिये उसके कार्य, आचरण और सत्यनिष्ठा के बारे में निदेशक द्वारा मूल्यांकन अंकित किया जायेगा।
  • यदि किसी कर्मचारी की चरित्र पंजिका में कोई प्रतिकूल प्रविष्टि की जाय, तो वह उसे सूचित की जायेगी, और उसे उसके विरूद्ध प्रत्यावेदन देने का अधिकार होगा। ऐसा प्रत्यावेदन अध्यक्ष को संबोधित किया जायेगा और उस पर उनका निर्णय अन्तिम एवं मान्य होगा।

वेतन

संस्थान की सेवा में विभिन्न श्रेणियों के पदों पर मौलिक, स्थानापन्न या अस्थायी आधार पर नियुक्त व्यक्तियों को अनुमन्य वेतनमान वही होगा, जो समय-समय पर, शासन द्वारा निर्धारित किया जाय। इन वेतनमानों का पुनरीक्षण भी शासन द्वारा समय-समय पर किया जायेगा। इस नियमावली के प्रारम्भ के समय प्रवृत्त वेतनमान इस नियमावली के परिशिष्ट-1 में दिये गये है।

परिवीक्षा अवधि में वेतन

परिवीक्षाधीन व्यक्ति को प्रथम वेतनवृद्धि तभी दी जायेगी, जब उसने एक वर्ष की संतोषप्रद सेवा पूरी कर ली हो और द्वितीय वेतनवृद्धि दो वर्ष की सेवा के बाद तभी दी जायेगी जब उसने परिवीक्षा अवधि पूरी कर ली हो और उसे स्थायी कर दिया गया हो।

परन्तु सेवा संतोषजनक न होने के कारण परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जाय, तो इस प्रकार बढ़ाई गई अवधि की गणना वेतनवृद्धि के लिये तब तक नहीं की जायेगी, जब तक नियुक्ति प्राधिकारी अन्यथा निर्देश न दे।

वेतन भुगतान

  • इस नियमावली के उपबन्धों के अधीन रहते हुये संस्थान में किसी कर्मचारी की सेवा प्रारम्भ होने के दिनांक से वेतन तथा भत्ते अनुमन्य होंगे तथा उस मास के जिसमें सेवा प्रारम्भ की जाय, अनुवर्ती मास में देय होंगे।
  • यदि कोई कर्मचारी नियमानुसार नोटिस दिये बिना अपनी सेवा छोड़ दें, तो उसे नोटिस अवधि का वेतन देय नहीं होगा।
  • जिस दिन से कर्मचारी संस्थान की सेवा में नहीं रहेगा, उसी दिन से उसको कोई वेतन तथा भत्ता आदि देय न होगा। ऐसे कर्मचारी, जिसे किसी दिनांक के पूर्व से पदच्युत कर दिया गया हो या सेवा से हटा दिया गया हो, का वेतन यथास्थिति पदच्युत होने अथवा सेवा से हटाने के दिनांक से बंद हो जायेगा। मृत्यु की दशा में मृत्यु की दिनांक का वेतन, यदि देय हो, मृत्यु के समय पर विचार किये बिना अनुमन्य होगा।
  • जब किसी कर्मचारी को शास्ति के रूप में उशतर पद या पदक्रम से निम्न पद पर प्रत्यावर्तित किया जाये, तो वह कर्मचारी निम्न पद के अधिकतम वेतन से अधिक या प्रत्यावर्तन के पूर्व प्राप्त वेतन की धनराशि से अधिक वेतन पाने का हकदार नहीं होगा।
  • कोई कर्मचारी संस्थान में अपने पद का, जिस पर उसकी नियुक्ति हुई हो, यदि पूर्वाह्‌न से कार्यभार ग्रहण करे तो उस दिनांक से और यदि अपराह्‌ण में कार्यभार ग्रहण करें, तो अनुवर्ती दिनांक से वेतन पाने का हकदार होगा।
  • यदि किसी कर्मचारी का संस्थान में एक पद से दूसरे पद पर स्थानान्तरण हो, तो वह पुराने पद का कार्यभार सौंपने के दिनांक और नये पद का कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक के बीच ड्‌यूटी के किसी अन्तराल में पुराने या नये पद का वेतन जो भी कम हो पायेगा।

दक्षतारोक पार करने का मानदण्ड

  • किसी व्यक्ति की प्रथम दक्षता रोक पार करने की अनुमति तब तक नहीं दी जायेगी, जब तक कि उसका कार्य एवं आचरण सन्तोषजनक न पाया जाय और उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित न कर दी जाय।
  • द्वितीय तथा उसके बाद की दक्षतारोक पार करने की अनुमति तब तक नहीं दी जायेगी जब तक कि उसने संतुलित रूप से और अपनी सर्वोतम योग्यता से कार्य न किया हो, जब तक उसका कार्य एव आचरण संतोषजनक न पाया जाये और उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित का कर दी जाय।

आचरण एवं अनुशासन

  • जब तक नियुक्ति के आदेश में स्पष्ट रूप से अन्य व्यवस्था न दी गई हो, कर्मचारी का संपूर्ण समय संस्थान के अधीन रहेगा और वह संस्थान के कार्य संपादन में ऐसी हैसियत से और ऐसी अवधि के दौरान तथा ऐसे स्थान पर सेवा करेगा, जैसा उसे समय-समय पर निर्देश दिया जाय।
  • संस्थान का प्रत्येक कर्मचारी नियमों के अधीन निदेशक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये आदेशों का पालन करेगा।
    1. कोई कर्मचारी किसी अन्य व्यक्ति को संस्थान के कार्यों से संबंधित गोपनीय बातें नहीं बतायेगा अथवा किसी प्रकार की कार्य संबंधी गोपनीय सूचना, जो सेवायोजन के दौरान उसके कब्जे या जानकारी में आयी हो, प्रकट नहीं करेगा।
      प्रतिबन्ध यह है कि कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारी की अनुज्ञा से केवल उतनी सूचना प्रसारित कर सकता है, जितनी किसी समक्ष प्राधिकारी द्वारा विवाद के निस्तारण या जॉच करने, अन्वेषण करने या लेखा परीक्षा करने या किसी विधि न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये जाने के लिये अपेक्षित हो।
    2. प्रत्येक कर्मचारी को यह परिवचन या शपथ देना होगा कि वह उक्त उपनियम संख्या(1) में यथा निर्धारित गोपनीयता बनाये रखेगा और ऐसा न करने पर उसके विरूद्ध प्रशासनिक कार्यवाही की जायेगी।

      1. प्रत्येक कर्मचारी संस्थान की सेवा ईमानदारी और निष्ठा से करेगा और संस्थान की उन्नति के लिये अधिकतम प्रयास करेगा। वह अपने सहयोगियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शिष्टता का व्यवहार करेगा और अपने कर्तव्यों पर ध्यान देगा।

      2. किसी क्षेत्र में उस समय मादक पेयों या द्रव्यों से संबंधित किसी विधि के उपबंधों के प्रचलित रहते हुये संस्थान का कोई भी कर्मचारी -
      क. जब वह कार्य पर हो, ऐसे पेय या द्रव्य के सेवन के प्रभाव में न होगा, जो मादक हो।
      ख्. यात्रा की स्थिति में तथा किसी सार्वजनिक स्थान पर भी मादक द्रव्यों का उपभोग नहीं करेगा।
      ग. ऐसे पेय या द्रव्य का अभ्यासतः भी प्रयोग नहीं करेगा।

  • संस्थान का कोई भी कर्मचारी
    1. संस्थान के भू-गृहादि के भीतर उच्छृंख्ल या अशोभनीय व्यवहार नहीं करेग, बाजी नहीं लगायेगा, या कोई ऐसा कोई नहीं करेगा, जिससे संस्थान की प्रतिष्ठा को धक्का लगे अथवा उसके कार्य में अव्यवस्था उत्पन्न हो।
    2. संस्थान की सम्पत्ति को न तो क्षति पहुँचायेगा और न क्षति पहुँचाने का प्रयास करेगा।
    3. किसी भी कर्मचारी को दुराचरण करने, धन का अपहरण करने या कर्तव्यों का उल्लंघन करने के लिये प्रोत्साहित नहीं करेगा।
    4. संस्थान से लिये गये ऋण या अग्रिम या अपने प्रभार या सुरक्षा के अधीन संस्थान की सम्पत्ति का दुरूपयोग नहीं करेगा और,
    5. निदेशक की अनुज्ञा के बिना संस्थान के परिसर के भीतर कोई बैठक न तो आयोजित करेगा और न उसमें उपस्थित होगा।
  • संस्थान का कोई भी कर्मचारी राजनीतिक प्रदर्शन में भाग नहीं लेगा, न स्वयं को उससे सम्बद्ध रखेगा और न किसी निर्वाचन में किसी पक्ष का समर्थन करेगा या अन्य प्रकार से अपने प्रभाव का प्रयोग करेगा।
  • कोई भी कर्मचारी संस्थान के कार्यकलाप के संबंध में निदेशक की पूर्व स्वीकृति के बिना समाचार पत्र में कोई वक्तव्य नहीं देगा और न समाचार पत्र अथवा पत्र-पत्रिकाओं में उस विषय में कोई लेख प्रसारित करायेगा। वह किन्ही भी व्यक्तिगत शिकायतों को समाचार पत्र या इश्तहारों के माध्यम से प्रसारित नहीं करेगा।
  • कोई कर्मचारी निदेशक की लिखित पूर्व अनुज्ञा के बिना कोई भी बाहरी सेवा या पद चाहे वह वैतनिक अथवा अवैतनिक हो स्वीकार नहीं करेगा, न उसके लिये याचना करेगा और न उसे पाने की चेष्टा करेगा।
  • कोई कर्मचारी निदेशक की पूर्व स्वीकृति के बिना अध्ययन के लिये किसी शैक्षिक संस्थान में प्रवेश नहीं लेगा।
  • कोई कर्मचारी निदेशक की अनुमति के बिना किसी भी अधीनस्थ कर्मचारी या ऐसे व्यक्ति से, जिसका संबंध संस्थान से हो, कोई उपहार या पारितोषिक की न तो याचना करेगा और न दिये जाने पर उसे स्वीकार करेगा।
  • कोई भी कर्मचारी नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित पूर्व अनुज्ञा के बिना कहीं भी अपने लिये या अन्य व्यक्ति के अभिकर्ता के रूप में धन संबंधी लाभ के लिये व्यक्तिगत रूप से कोई कार्यकलाप नहीं करेगा।
  • क. कोई भी कर्मचारी निदेशक की अनुज्ञा के बिना अपने कार्य से अनुपस्थित नहीं रहेगा।

    ख. यदि कोई भी कर्मचारी अवकाश के बिना अपने कार्य से अनुपस्थित रहता है या अपने अवकाश से अधिक रूकता है, उन परिस्थियों के अतिरिक्त जो उनके वश में न हो तो वह अपनी अनुपस्थिति का संतोषजनक लिखित स्पष्टीकरण अनिवार्यतः देगा। स्पष्टीकरण संतोषजनक न पाये जाने की दशा में उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जा सकेगी।

  • कोई कर्मचारी संस्थान के कार्य के अतिरिक्त अपनी तैनाती के मुख्यालय से उस अधिकारी की अनुज्ञा के बिना, जिसके अधीक्षण अथवा नियंत्रण में वह कार्य करता हो, अनुपस्थित नहीं रहेगा।
  • प्रत्येक कर्मचारी कार्यालय में समय पर उपस्थित होगा और उपस्थित रजिस्टर में हस्ताक्षर करेगा, जिसे नित्य निदेशक या ऐसे अधिकारी के समक्ष, जो इस प्रयोजनार्थ निदेशक द्वारा अधिकृत किया गया हो, प्रस्तुत किया जायेगा।
  • संस्थान का कोई कर्मचारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में संस्थान की सम्पत्ति या उत्पादन के नीलाम में बोली नहीं लगायेगा।
  • संस्थान का कोई कर्मचारी, जिसकी एक पत्नी या पति जीवित हो, दूसरा विवाह नहीं करेगा।
  • किसी आपराधिक आरोप के संबंध में गिरफ्तार किया गया कोई कर्मचारी निलम्बित कर दिया जायेगा और वह निलम्बन उसकी गिरफ्तारी की दिनांक से प्रभावी होगा, परन्तु यदि वह जमानत या/मुचलके पर छोड़ दिया गया हो, तो उसे निदेशक के द्वारा उस समय तक, जब तक उसके विरूद्ध लगाये गये, आरोप पर न्यायालय में विचार हो रहा हो, पुनः कार्यभार ग्रहण करने तथा उस पर कार्य करते रहने की अनुज्ञा दी जा सकती है।
    यदि कोई कर्मचारी किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता से सम्बद्ध किसी अपराध के लिये दोषी सिद्ध हो जाय, तो उसे पदच्युत(डिसमिस) कर दिया जायेगा। आचरण संबंधी जिन अन्य बातों का स्पष्टतः प्राविधान नहीं किया गया है, उनके संबंध में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के लिये बनाई गई आचरण नियमावली के प्राविधान लागू माने जायेगें।

शास्ति

  1. किसी कर्मचारी को, जो अपने कर्तव्यों का उल्लंघन करता है या इस सेवा नियमावली द्वारा प्रतिषिद्ध कोई कार्य करता है, के विरूद्ध शासन द्वारा समय-समय पर निर्गत अनुशासनिक कार्यवाही संबंधी आदेशों के अधीन अथवा निम्नलिखित शास्तियों में से किसी एक या अधिक द्वारा दण्डित किया जा सकेगा -

    निन्दा करना

    वेतन वृद्धि रोकना

    जुर्माना केवल चतुर्थ श्रेणी के किसी कर्मचारी, चपरासी, चौकीदार आदि पर।

    कर्मचारी के आचरण द्वारा संस्थान को होने वाली किसी धन संबंधी क्षति की पूर्णतया या आंशिक रूप से क्षतिपूर्ति करने के लिये वेतन या प्रतिभूति से वसूली।

    कर्मचारी द्वारा मौलिक रूप से गृहीत पद या श्रेणी से अवनति (रिडक्शन इन रैंक)

    सेवा से हटाया जाना (रिमूवल) या

    सेवा से पदच्युत (डिसमिसल)

  2. दण्ड के आदेश की प्रतिलिपि अनिवार्यतः सम्बद्ध कर्मचारी को दी जायेगी और कर्मचारी के सेवा अभिलेख में इस आशय की प्रविष्टि की जायेगी।
  3. निन्दा करने के अलावा कोई भी शास्ति तब तक आरोपित नहीं की जायेगी जब तक कि कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस न दे दी गई हो और वह विर्निर्दिष्ट समय के भीतर उत्तर देने में असफल रहा हो अथवा उसका उत्तर दण्ड देने वाले अधिकारी द्वारा असंतोषजनक पाया गया हो।
  4. किसी कर्मचारी को निलम्बित करने और उसके विरूद्ध अनुशासनत्मक कार्यवाही करने के लिये निदेशक समक्ष प्राधिकारी होंगें।
  5. आरोपित कर्मचारी को निदेशक द्वारा अपराध की गंभीरता के अनुसार दण्ड दिया जायेगा। प्रतिबन्ध यह है कि -

    नियम-36 के उनियम (1) के ख्ण्ड (ङ), (च) या (छ) के अधीन कोई शास्ति अनुशासनिक कार्यवाही किये बिना आरोपित नहीं की जायेगी।

    ख कोई कर्मचारी उस प्राधिकारी से, जिसके द्वारा यह नियुक्त किया गया हो, भिन्न किसी अधिकारी द्वारा हटाया या पदच्युत नहीं किया जायेगा।

  6. नियमों के अधीन नियम-36 के उपनियम (1) के ख्ण्ड क,ख्,ग,घ में वर्णित शास्तियां आरोपित करने संबंधी निदेशक के आदेश के विरूद्ध प्रत्यावेदन/अपील अध्यक्ष के समक्ष की जा सकेगी, जिनका निर्णय अन्तिम एवं मान्य होगा।
  7. नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा कर्मचारी के मौलिक पद या श्रेणी से अवनत किये जाने, सेवा से हटाये जाने अथवा पदच्युत संबंधी शास्ति आरोपित किये जाने पर अपील उत्तर प्रदेश शासन के संबंधित प्रशासनिक विभाग के सचिव को की जा सकेगी, जिनका निर्णय अन्तिम एवं मान्य होगा।
  8. समक्ष प्राधिकारी वेतन वृद्धि रोकने का आदेश देते समय उस अवधि का, जब वह रोकी गई है और भविष्य की वेतनवृद्धियों पर उसके प्रभाव पड़ने या न पड़ने का उल्लेख् करेगा।

सामान्य भविष्य निधि

संस्थान के कर्मचारी के वेतन से सामान्य भविष्य निधि के लिय प्रतिमास उसके वेतन से दस प्रतिशत की दर से, या समय-समय पर शासन द्वारा जैसे आदेश दिये जाएं, भविष्य निधि में उक्त सीमा में कटौती करा सकता है।

प्रतिभूति

  • संस्थान के ऐसे कर्मचारी, जिसके द्वारा संस्थान का धन संबंधी व्यवहार संपन्न किया जाता हो तथा ऐसे कर्मचारी जो संस्थान के स्टोर, स्टाकबुक आदि वस्तुओं के रखरखाव से संबंधित हों, से कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्धारित प्रतिभूति नकद जमा कराई जायेगी या उसे उतनी धनराशि का फाइडेलिटी बाण्ड जमा करना होगा।
  • प्रतिभूति की नकद जमा की गई धनराशि पोस्ट आफिस/बैंक के सेविंग बैंक खाते में या सावधि जमा योजना में रखी जायेगी और संस्थान के निदेशक के नाम बंधित होगी। सम्बद्ध कर्मचारियों को उक्त प्रतिभूति की धनराशि पर उतना ब्याज दिया जायेगा, जितना बैंक के बचत खाते पर अनुमन्य होगा। संस्थान को हुई क्षति की प्रतिभूर्ति उत्तरादायी कर्मचारी की प्रतिभूति तथा उस पर अर्जित ब्याज से की जा सकेगी।
  • प्रतिभूति की धनराशि पर शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के लिये बनाये गये नियमों के अनुसार प्रतिभूतकर्ता यदि कोई हो तो अनुमन्य होगा।
  • यदि कोई कर्मचारी संस्थान की सेवा में न रह जाय या उसकी मृत्यु हो जाय तो प्रतिभूति की धनराशि, देय ब्याज सहित, उस कर्मचारी को और मृत्यु की दशा में उसके द्वारा नामित व्यक्ति या वारिस को, सेवा में न रहने या मृत्यु होने के दिनांक से तीन मास से भीतर सामान्यतया वापिस कर दी जायेगी।
  • वेतन निर्धारण, वेतनवृद्धि, मंहगाई भत्ता यात्रा भत्ता तथा अन्य भत्ते, कार्यग्रहण समय अवकाश तथा अन्य विषयों के संबंध में ,जिनके बारे में इन नियमों में कोई व्यवस्था नहीं की गई है, वही नियम लागू होंगे जो उत्तर प्रदेश शासन के कर्मचारियों के समान प्रशासनिक विभाग की अनुमति से लागू होंगे।
  • जो कर्मचारी इन नियमों के प्रवृत्त होने के पूर्व संस्थान के अधीन विभिन्न पदों पर तत्समय प्रवृत्त नियमों के अधीन नियुक्त किये जा चुके हैं, उन्हें इन नियमों के अधीन नियुक्त माना जायेगा।

परिशिष्ट - एक

क्र0सं0 पद का नाम पदों की संख्या वेतनमान, ग्रेड पे भर्ती का स्रोत नियुक्ति प्राधिकारी
1 वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी 1 9300-34800-4800 ऐसे कार्यालय अधीक्षक जिन्होंने कार्यालय अधीक्षक के पद पर कम से कम पॉच वर्ष की नियमित एवं संतोषजनक सेवा पूरी कर ली हो वरिष्ठता के आधार पर प्रोन्नति द्वारा। निदेशक
2 प्रशासनिक अधिकारी 1 9300-34800-4600 शासन के पत्र संख्या 68/21-3-2012/27/2050 दिनांक 21 मार्च, 2012 के अनुसार ऐसे वरिष्ठ सहायक/ प्रवर वर्ग सहायक) / सहायक लेखाकार / सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष में से जिन्होने उक्त पद पर न्यूनतम पाँच वर्ष की सन्तोषजनक सेवा पूर्ण कर ली हो उपयुक्तता के आधार पर पदोन्नति द्वारा। तदैव
3 प्रधान सहायक 1 9300-34800-4200 ऐसे कनिष्ठ लिपिक (अवर वर्ग सहायक) से जिसने उक्त पद पर पांच वर्ष की नियमित संतोषजनक सेवा पूरी कर ली हों पदोन्नति द्वारा। तदैव
4 वरिष्ठ सहायक 1 5200-20200-2800 ऐसे टंकक जिसने उक्त पद पर तीन वर्ष की नियमित सेवा संतोषजनक ढंग से पूरी कर ली हो, पदोन्नति द्वारा। तदैव
5 कनिष्क सहायक 1 5200-20200-2000   सीधी भर्ती द्वारा तदैव
6 सर्वेक्षक 2 9300-34800-4600   सीधी भर्ती द्वारा तदैव
7 प्रचार-प्रसार अधिकारी 1 डाइंग कैडर सीधी भर्ती द्वारा वैयक्तिक वेतन वैयक्तिक पद (डाइंग कैडर) (वर्तमान पद धारक के फरवरी 2007 में सेवा निवृत्ति के साथ समाप्त हो जायेगा) तदैव
8 आशुलिपिक 1 5200-20200-2800 सीधी भर्ती द्वारा तदैव
9 सहायक लेखाकार 1 5200-20200-2400 सीधी भर्ती द्वारा तदैव
10 सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष 1 5200-20200-2800 सीधी भर्ती द्वारा तदैव
11 जेनिटर (पुस्तकालय) 1 5200-20200-1800 सीधी भर्ती द्वारा तदैव
12 ड्राइवर 1 5200-20200-1900 सीधी भर्ती द्वारा तदैव
13 चपरासी/चौकीदार/संदेशवाहक/माली/सफार्इ कर्मचारी 7 5200-20200-1800 सीधी भर्ती द्वारा तदैव

परिशिष्ट - दो

क्र0सं0 पद का नाम आयु सीमा    निर्धारित अर्हतायें    अभ्युकित
 

सहायक निदेशक

 

 

  सर्वेक्षक 21से 35 वर्ष प्रथम या उच्च द्वितीय श्रेणी में एम0ए0 (संस्कृत) अथवा आचार्य वरीमान अर्हता-पुरानी पाण्डुलिपियों को पढ़ने की क्षमता।
 

प्रचार अधिकारी

21से 35 वर्ष

1. प्रथम या उच्च द्वितीय श्रेणी में एम0ए0 (संस्कृत) अथवा आचार्य
2. पत्रकारिता में डिग्री डिप्लोमा और प्रचार कार्य के 3 साल का अनुभव

  आशुलिपिक 21से 35 वर्ष 1. अनिवार्य अर्हता-संस्कृत विषय के साथ स्नातक तथा आशु लेखन में 80 शब्द प्रति मिनट और हिन्दी टंकण में 35 शब्द प्रतिमिनट तथा कम्प्यूटर पर कार्य करने का ज्ञान।
2. अंग्रेजी आशुलेखन तथा टंकण का ज्ञान।
  सहायक लेखाकार 21से 35 वर्ष 1. अनिवार्य अर्हता-एकाउन्टेन्सी विषय लेकर वाणिज्य में स्नातक उपाधि।
2. संस्कृत के सामान्य ज्ञान को वरीयता।
  कनिष्क सहायक 21से 35 वर्ष संस्कृत विषय के साथ स्नातक तथा हिन्दी टंकण में 35 शब्द प्रति मिनट की गति तथा कम्प्यूटर पर कार्य करने का ज्ञान।
  ड्राइवर 21से 35 वर्ष आठवीं कक्षा उत्तीर्ण कार चलाने का लाइसेंस, साइकिल चलाने का ज्ञान।
  चपरासी/चौकीदार/ संदेशवाहक 18से 35 वर्ष आठवीं कक्षा उत्तीर्ण, साइकिल चलाने का ज्ञान।
  माली 18से 35 वर्ष आठवीं कक्षा उत्तीर्ण, साइकिल चलाने की जानकारी, मालीगिरी का दो वर्ष का अनुभव।
  सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष 21से 35 वर्ष 1. अनिवार्य अर्हता संस्कृत में एम0ए0 अथवा आचार्य पुस्तकालय विज्ञान में डिग्री
2. किसी मान्यता प्राप्त पुस्तकालय में दो वर्ष कार्य करने का अनुभव
  जेनिटर 18से 35 वर्ष संस्कृत विषय के साथ हार्इस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण तथा वरीयान अर्हता पुस्तकालय में कार्य करने का अनुभव।